यह शिव आरती लिरिक्स(Shiv Aarti Lyrics) शिव भक्ति के प्रशंसापूर्ण और हमें शिवजी के दिव्य रूप का आदर करने की प्रेरणा देते हैं। शिव आरती (Shiv Aarati) में लिपटे भक्ति और श्रद्धा की अद्वितीय भावना ने हमेशा ही शिव भक्तों का मन मोह लिया है।
ओम जय शिव ओंकारा (Om jai shiv omkara aarti) आरती के बोल ने शिवजी की महिमा चारों तरफ़ गूंजा है। इन शिव चालीसा आरती(Shiv Chalisa Aarti) में छिपी भक्ति और श्रद्धा की भावना हर शिव भक्त के दिल की तरंगों में बसी रहती है। इन शिव जी आरती (Shiv Chalisa Aarti) के बोल ने भगवान शिव के भक्तों को उनकी कृपा के प्रति आकर्षित किया है।
शिव जी आरती। Shiv Ji Aarti Lyrics
जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव…॥
एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव…॥
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव…॥
अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव…॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव…॥
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव…॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव…॥
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव…॥
त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव…॥
जय शिव ओंकारा हर ॐ शिव ओंकारा|
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अद्धांगी धारा॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥
शिव आरती वीडियो | Shiv Aarti Video
शिव आरती लिरिक्स फोटो | Shiv Aarti Lyrics image
शिव आरती की विधि | Shiv Aarti Ki Vidhi
यदि आप भगवान शिव की आरती (Bhagwan Shiv Ki Aarti) करना चाहते है तो होने आपको निचे वाली लाइन में बताया है की शिव आरती की सामान्य विधि क्या है और शिव आरती (Shiv Aarti) कैसे करना चाहिए :
- विशेष तैयारियाँ: आरती की शुरुआत करने से पहले, सभी प्रकार की तैयारियाँ कर ले। फूल, दिये, धूप, चमक, गंध और पुष्प को तैयार रख ले।
- पूजा का प्रारंभ: शिव आरती का प्रारंभ गणेश जी की पूजा करने के बाद करें।
- गणेश जी की पूजा हो जाने के बाद, शिव जी की मूर्ति को साफ पानी से धोकर उन्हें शुद्ध कर ले।
- आरती की शुरुआत: ॐ जय शिव ओंकारा (om jai shiv omkara aarti) मंत्र के साथ आरती की शुरुआत करें।
- इस मंत्र को करते समय भगवान शिव के दिव्य स्वरूप का आदर करें।
- पुन: आरती की वंदना: जय गिरिजा पाति दिनदयाल पंक्ति के साथ आरती की वंदना करें।
- इसमें शिव जी की महिमा का गुणगान करें और उनकी पूजा का वर्णन करें।
इस विधि के अनुसार, आप आसानी से शिव आरती का आयोजन कर सकते हैं और उनके आशीर्वाद को प्राप्त कर सकते हैं।
शिव आरती का महत्व | Importance of Shiv Ji Aarti
शिव आरती का महत्वपूर्ण उद्देश्य होता है की भगवान शिव की पूजा के माध्यम से उनके दिव्य रूप का आदर करना और उनकी कृपा प्राप्त करनी होती है। शिव की आरती करके, हम उनके प्रति अपनी भक्ति और श्रद्धा प्रकट करते हैं और उनके दिव्य गुणों की महिमा का गान होता हैं। इसके अलावा, आरती करने से हमारे जीवन में आशा, उत्तरदायित्व, और सकारात्मकता आती है।
यहाँ दिए निचे हम आपको आरती के महत्व के कुछ प्रमुख पहलु के बारे में बता रहे है:
- भगवान की कृपा: भगवान शिव की आरती करने से है हमें उनकी कृपा प्राप्त होती है और उनके आशीर्वाद से हमारे जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि बनी रहती है।
- आत्मिक स्पर्श: जब हम आरती करते है तब हम भगवान के साथ अपनी आत्मा की जुड़ने का अनुभव करते हैं। इसके द्वारा हमारे मन को शांति प्राप्त होती है और आत्मा की ऊँचाइयों को महसूस करते हैं।
- श्रद्धा और भक्ति: आरती करने से हम अपनी श्रद्धा और भक्ति का प्रकटीकरण करते हैं और भगवान की ओर अपनी पूरी भावना को दिखाते हैं।
- आत्म-समर्पण: आरती के दौरान हम अपने आपको भगवान के सेवानिवृत्ति में समर्पित करते हैं और उनकी पूजा के लिए अपने सब कुछ समर्पित करते हैं।
- आध्यात्मिक विकास: आरती करने से हमारा आध्यात्मिक विकास होता है और हम भगवान शिव के प्रति अधिक आकर्षण और समर्पण महसूस करते हैं।
इस तरह से, भगवान शिव की आरती का महत्वपूर्ण होने के कारण यह भगवान शिव की पूजा के महत्वपूर्ण हिस्से में आती है।
FAQ – शिव आरती से जुड़े कुछ सवाल
शिव आरती क्या होती है?
शिव आरती एक पूजा है यह शिव जी के दिव्य गुणों की प्रशंसा का माध्यम होता है और भक्तों के द्वारा उनके सामने भक्ति और श्रद्धा प्रकट किया जाता है।
शिव आरती क्यों महत्वपूर्ण है?
जब हम शिव जी की आरती करते है तब हम भगवान शिव की कृपा प्राप्त कर सुख-शांति प्राप्त करते हैं। यह उनके प्रति अपनी भक्ति का प्रतीक होता है।
शिव आरती कब करनी चाहिए?
आरती को नियमित रूप से दो बार – सुबह और शाम करना शुभ माना जाता है। यह दिन की शुरुआत और समाप्त के समय में किया जाता है।
आरती की कितनी प्रकार की होती हैं?
शिव आरती विभिन्न रूपों में की जाती है, जैसे कि सोमवार की आरती, श्रवण मास की आरती, और महाशिवरात्रि की आरती आदि।
आरती के क्या लाभ होते हैं?
आरती करने से हम भगवान के आदर्श जीवन का अनुसरण कर सकते हैं और उनके द्वारा हमारे जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
आरती की आवश्यक सामग्री क्या होती है?
आरती के लिए विशेष फूल, दिये, धूप, चमक, गंध, पुष्प और अन्य पूजा सामग्री की आवश्यकता होती है।
आरती कब और कैसे की जाती है?
आरती को दिन की शुरुआत और समापन के समय के रूप में किया जाता है। यह विशेष मंत्रों के साथ किया जाता है और मूर्ति को पूजा के लिए तैयार किया जाता है।
आरती का क्या महत्व है आध्यात्मिक जीवन में?
आरती करने से हम अपने आध्यात्मिक जीवन में सकारात्मकता, आत्म-समर्पण, और शांति का अनुभव करते हैं। यह हमें भगवान के साथ आत्मा को जोड़ने में मदद करता है।
I am Rajeev Pandit, priest for 10 years in a Hanuman temple in Varanasi. I have spent my life in worship. I understand other languages. On our site you will find Hanuman Aarti, Stotra, Chalisa, Mantra, you can also download all of them in PDF. For more information you can email, WhatsApp or call us.