जय हनुमान ज्ञान गुण सागर लिरिक्स | Jai Hanuman Gyan Gun Sagar Lyrics in Hindi

जय हनुमान ज्ञान गुण सागर लिरिक्स हनुमान जी का गीत एक प्रमुख हिंदी भजन है, जिसे हमारे हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। यह Jai Hanuman Gyan Gun Sagar Lyrics हनुमानजी की महिमा और उनके गुणों की प्रशंसा करता है। इस लेख में, हम इस गीत के बोल, अर्थ और महत्व के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे।

जय हनुमान ज्ञान गुण सागर लिरिक्स

दोहा :

श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।।
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।

चौपाई :

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।

वनर राज विद्या धरणा।
कामदेनु के त्रिविष संहारा॥

रामदूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।

महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी।।

कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा।।

हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
कांधे मूंज जनेऊ साजै।

संकर सुवन केसरीनंदन।
तेज प्रताप महा जग बन्दन।।

विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर।।

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया।।

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा।।

भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज संवारे।।

लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।

रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा।।

जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।

तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा।।

तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।
लंकेस्वर भए सब जग जाना।।

जुग सहस्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।

दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।

राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।

सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डर ना।।

आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै।।

भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै।।

नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा।।

संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।

सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा।

और मनोरथ जो कोई लावै।
सोइ अमित जीवन फल पावै।।

चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा।।

साधु-संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे।।

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता।।

राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा।।

तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम-जनम के दुख बिसरावै।।

अन्तकाल रघुबर पुर जाई।
जहां जन्म हरि-भक्त कहाई।।

और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।

संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।

जै जै जै हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।

जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई।।

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा।।

तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय मंह डेरा।।

दोहा :

पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।

इस वीडियो के माध्यम से हनुमान जी की महिमा का गान किया गया है। भजन के शब्द स्क्रीन पर प्रदर्शित होते हैं जो पाठकों को गाने में सहयोग करते हैं। इस वीडियो में भक्तिभाव से गाए जाने वाले भजन को देखने से आत्मिक संतुष्टि महसूस होती है। यह वीडियो हनुमान जी की महिमा को और उनके भक्तों को समर्पित है।

Jai Hanuman Gyan Gun Sagar Lyrics in English

॥ Doha ॥

Shri Guru Charan Saroj raj
Nija manu Mukura sudhari।

Baranau Raghuvar Bimal Jasu
Jo Dayaku Phala Chari॥

Budheeheen Tanu Jannike
Sumiro Pavan Kumara।

Bal Buddhi Vidya Dehoo Mohee
Harahu Kalesh Vikaar॥

॥ Chaupai ॥

Jai Hanuman gyan gun sagar ।
Jai Kapis tihun lok ujagar ॥

Ram doot atulit bal dhama ।
Anjani putra Pavan sut nama ॥

Mahabir vikram Bajrangi ।
Kumati nivar sumati Ke sangi ॥

Kanchan varan viraj subesa ।
Kanan Kundal Kunchit Kesha ॥

Hath Vajra Aur Dhwaja Viraje ।
Kaandhe moonj janeu saaje ॥

Sankar suvan kesri Nandan ।
Tej prataap maha jag vandan ॥

Vidyavaan guni ati chatur ।
Ram kaj karibe ko aatur ॥

Prabhu charitra sunibe ko rasiya ।
Ram Lakhan Sita man Basiya ॥

Sukshma roop dhari Siyahi dikhava ।
Vikat roop dhari lank jalava ॥

Bhim roop dhari asur sanhare ।
Ramachandra ke kaj sanvare ॥

Laye Sanjivan Lakhan Jiyaye ।
Shri Raghuvir Harashi ur laye ॥

Raghupati Kinhi bahut badai ।
Tum mama priya Bharat-hi-sam bhai ॥

Sahas badan tumharo yash gaave ।
As kahi Shripati kanth lagaave ॥

Sankadhik Brahmaadi Muneesa ।
Narad Sarad sahit Aheesa ॥

Yam Kuber Dikpaal Jahan te ।
Kavi kovid kahi sake kahan te ॥

Tum upkar Sugreevahin keenha ।
Ram milaye rajpad deenha ॥

Tumhro mantra Vibheeshan maana ।
Lankeshwar Bhaye Sab jag jana ॥

Yug sahasra yojan par Bhanu ।
Leelyo tahi madhur phal janu ॥

Prabhu mudrika meli mukh mahee ।
Jaladhi langhi gaye achraj nahee ॥

Durgam kaj jagat ke jete ।
Sugam anugraha tumhre tete ॥

Ram duwaare tum rakhvare ।
Hot na agya binu paisare ॥

Sab sukh lahai tumhari sarna ।
Tum rakshak kahu ko darna ॥

Aapan tej samharo aapai ।
Teenon lok hank te kanpai ॥

Bhoot pisaach Nikat nahin aavai ।
Mahavir jab naam sunavai ॥

Nase rog harae sab peera ।
Japat nirantar Hanumat beera ॥

Sankat se Hanuman chhudavai ।
Man Kram Vachan dhyan jo lavai ॥

Sab par Ram tapasvee raja ।
Tin ke kaj sakal Tum saja ॥

Aur manorath jo koi lavai ।
Soi amit jeevan phal pavai ॥

Charon jug partap tumhara ।
Hai parsiddh jagat ujiyara ॥

Sadhu Sant ke tum Rakhware ।
Asur nikandan Ram dulare ॥

Ashta siddhi nav nidhi ke data ।
As var deen Janki mata ॥

Ram rasayan tumhare pasa ।
Sada raho Raghupati ke dasa ॥

Tumhare bhajan Ram ko pavai ।
Janam janam ke dukh bisraavai ॥

Antkaal Raghuvar pur jayee ।
Jahan janam Hari Bhakt Kahayee ॥

Aur Devta Chitt na dharahin ।
Hanumat sei sarv sukh karahin ॥

Sankat kate mite sab peera ।
Jo sumirai Hanumat Balbeera ॥

Jai Jai Jai Hanuman Gosain ।
Kripa Karahun Gurudev ki nayin ॥

Jo shat bar path kare koi ।
Chhutahin bandi maha sukh hoi ॥

Jo yeh padhe Hanuman Chalisa ।
Hoye siddhi saakhi Gaureesa ॥

Tulsidas sada hari chera ।
Keejai Nath Hriday mahn dera ॥

॥ Doha ॥
Pavan Tanay Sankat Harana
Mangala Murati Roop ।

Ram Lakhan Sita Sahita
Hriday Basahu Soor Bhoop ॥

Jai Hanuman Gyan Gun Sagar Lyrics की रचना किसने की ?

Hariharan jai hanuman gyan gun sagar भजन की रचना संत तुलसीदास जी ने की है। संत तुलसीदास जी भारतीय साहित्य के मशहूर कवि और संत थे। उन्होंने भगवान रामचंद्रजी की कृपा से एक सुंदर और प्रभावशाली काव्य-ग्रंथ “रामचरितमानस” की रचना की। इस ग्रंथ में हनुमान जी को अत्यंत महत्त्व दिया गया है और उनकी महिमा, गुणों, वीरता और ज्ञान का वर्णन किया गया है।

Jai hanuman gyan gun sagar song भी संत तुलसीदास जी के द्वारा रचित है। इस भजन में हनुमान जी की महिमा, गुणों और ज्ञान का गान किया गया है। भजन के शब्द उनकी भक्ति, श्रद्धा और प्रेम को व्यक्त करते हैं।

यह भजन एक प्रमुख हिंदी भजन है और हिंदू धर्म में बड़ी प्रसिद्धि प्राप्त कर चुका है। इस भजन को आमतौर पर हनुमान चालीसा के बाद सुना जाता है और इसका गान हनुमान जी की महिमा को स्तुति करने के लिए किया जाता है। यह jai hanuman gyan gun sagar ringtone को आप अपने मोबाइल में रिंगटोन भी लगा सकते है।

संत तुलसीदास जी ने अपनी रचनाओं के माध्यम से हनुमान जी के गुणों और महिमा को प्रशंसा की है और उन्हें अपने जीवन के मार्गदर्शक और संरक्षक के रूप में स्वीकार किया है। भजन उनके अत्यंत प्रसिद्ध और प्रिय भजनों में से एक है, जो उनके और हनुमान जी के अनन्य संबंध की प्रतिष्ठा करता है।

भजन का महत्त्व

यह गीत हिन्दू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण है। इस गीत में हनुमानजी की प्रशंसा, उनके गुणों की महिमा, उनके धर्म और उनके सामर्थ्य का वर्णन किया गया है। इस गीत को सुनने और गाने से हनुमानजी की कृपा प्राप्त होती है और उनके भक्तों को सफलता, सुख, और सुरक्षा की प्राप्ति होती है।

यह गीत भक्तों को संबल, उत्साह, और शक्ति प्रदान करता है और उन्हें अपार आनंद और शांति का अनुभव कराता है। हर वर्ष हनुमान जयंती पर इस गीत का उच्चारण और गान किया जाता है। आप हमारे वेबसाइट से jai hanuman gyan gun sagar lyrics pdf प्राप्त कर सकते हैं।

हनुमान भक्ति के लाभ

हनुमान जी के भजन का गुणगान करने से हमें आत्मा और मानसिक शांति प्राप्त होती है। हनुमान जी की कृपा से हमें बुद्धि, बल, धैर्य और साहस की प्राप्ति होती है। उनके भक्ति में लगने से हमें नेक कर्मों के पथ पर चलने की प्रेरणा मिलती है और हमारी सभी कठिनाइयों का समाधान होता है।

हनुमान जी की आराधना से हमें सभ्यता, समर्पण और निष्ठा की भावना प्राप्त होती है। उनके भक्ति में लगकर हम अपनी अंतरात्मा के साथ संवाद करते हैं और उनके आदेशों का पालन करते हुए आध्यात्मिक उन्नति की प्राप्ति करते हैं।

सारांश

भजन हनुमानजी की महिमा और गुणों की प्रशंसा करने वाला एक प्रमुख गीत है। इस गीत के बोलों में हनुमानजी के विभिन्न रूपों का वर्णन किया गया है और उनकी शक्ति, बल, ज्ञान, धर्म, और न्यायप्रियता की प्रशंसा की गई है।

इस गीत का उच्चारण और गायन हनुमानजी के भक्तों को संबल, उत्साह, और आनंद प्रदान करता है और उन्हें उद्यमी बनाता है। हनुमानजी की आराधना करने वाले लोग इस गीत का मन्त्रमुग्ध होकर गायें और उसके माध्यम से उनकी आदर्श जीवन शैली का अनुसरण करें।

FAQ

जय हनुमान ज्ञान गुण सागर गीत का अर्थ क्या है?

इस गीत का अर्थ यह है कि हे हनुमान जी! आपको जय हो, आप ज्ञान का अनन्त सागर हैं। आपकी महिमा तीनों लोकों में व्याप्त है और आपके गुणों की प्रशंसा की जाती है। आप रामभक्त हैं, आप महावीरता के साथ प्रकट होते हैं।

आपका रूप चमकदार है, और आपके भगवान श्रीराम के कार्यों में समर्पित हैं। आप विद्यावान और गुणी हैं, और आपकी आराधना से हमें शक्ति, आत्मा की ऊर्जा और भक्ति की प्राप्ति होती है।

यह गीत किसने गाया और संगीत किसने दिया है?

इस गीत को व्यक्तिगत रूप से अनेक संगीतकार और गायकों द्वारा गाया गया है। यह गीत हनुमान चालीसा के बाद अक्सर सुनाया जाता है और इसे भक्तिभाव से गाया जाता है।

इस गीत के बोल तुलसीदास जी ने लिखे हैं और संगीत का निर्माण विभिन्न संगीतकारों द्वारा किया गया है। इस गीत को गाकर भक्त उनकी महिमा का गान करते हैं और आनंदित होते हैं।

यह गीत किस अवसर पर सबसे ज्यादा सुना जाता है?

यह गीत को हिंदू धर्म में हनुमान जी की पूजा और आराधना के दौरान सबसे ज्यादा सुना जाता है। हनुमान जी के अभिभावक, भक्त और आराधक इस गीत को ज्यादातर अवसरों पर गाते हैं, जैसे कि हनुमान जयंती, राम नवमी, शनिवार व्रत, हनुमान चालीसा के बाद आदि।

इस गीत को सुनने से भक्तों को आशीर्वाद मिलता है और उनके मन में भक्ति की भावना जागृत होती है।

क्या इस गीत के बोल और भाव का कोई विशेष महत्व है?

हां, इस गीत में हनुमान जी की महिमा, गुणों और ज्ञान की महत्ता व्यक्त होती है। यह गीत हमें हनुमान जी की उच्चता, शक्ति और पौरुष का अनुभव कराता है।

गीत के शब्दों में हनुमान जी के अद्वितीय गुणों का गुणगान किया गया है जैसे वीरता, ब्रह्मचर्य, बुद्धिमान, दयालुता आदि। इस गीत का गान करने से हमें हनुमान जी के साथ एक अनुभविक संबंध एवं भक्ति की ऊर्जा का अनुभव होता है।

क्या इस गीत का अनुवाद किया गया है? और किसने किया है?

इस गीत का अनुवाद संगीतकार और गीतकार श्री रवीन्द्र जैन जी द्वारा किया गया है। उन्होंने हिंदी भाषा में इस भजन के शब्दों का सुंदर और अर्थपूर्ण अनुवाद किया है।

इस अनुवाद में हनुमान जी की महिमा, गुणों का वर्णन और भक्ति के लाभों का वर्णन किया गया है। यह अनुवाद भजन के प्रशंसापूर्ण और रसभरे शब्दों को समझने और सुनने में मदद करता है।

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर भजन किसने लिखा है?


इस भजन के शब्द तुलसीदास जी द्वारा लिखे गए हैं। तुलसीदास जी हिंदी साहित्य के महान कवि और संत रहे हैं। उन्होंने भगवान रामचंद्र जी की भक्ति और उनकी कथाओं के आधार पर विभिन्न रचनाएं लिखी हैं।

तुलसीदास जी की रचनाओं में हनुमान जी का विशेष स्थान है और उनकी महिमा को व्यक्त करने के लिए उन्होंने इस प्रसिद्ध भजन की रचना की है।

यह भजन किस अवसर पर गाया जाता है?


यह भजन विभिन्न अवसरों पर गाया जाता है। हनुमान चालीसा के बाद यह भजन गाया जाता है और हनुमान जी की पूजा और आराधना के दौरान भी इस भजन का गान किया जाता है। हनुमान जयंती, हनुमान जी के जन्मदिन, राम नवमी, हनुमान जी की विशेष पूजा, और भक्ति संगीत कार्यक्रमों में यह भजन प्रमुखतः गाया जाता है।

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