श्री हनुमान साठिका | Hanuman Sathika: भक्ति, शक्ति, और सुख का स्रोत 

यह श्री हनुमान साठिका एक महत्वपूर्ण कथा है जो हनुमान जी के बारे में अधिक जानकारी प्रदान करती है। इस hanuman sathika को कहने और सुनने से हमें हनुमान जी की महत्त्वपूर्ण गुणों और उनकी भक्ति के बारे में समझने में मदद करती है।

Hanuman sathika hindi mai मैं लिखा गया है जिसको पढ़ने और सुनने से हमारे जीवन में उनकी कृपा और आशीर्वाद की बानी रहती है। हम सभी लोगो को अपने जीवन में उनकी पूजा-अर्चना करनी चाहिए और उनके भक्ति गीतों का सुनना चाहिए ताकि हमारी आत्मा और मन शांत रह सकें।

Hanuman Sathika Lyrics

॥ चौपाइयां ॥

जय जय जय हनुमान अडंगी ।
महावीर विक्रम बजरंगी ॥

जय कपीश जय पवन कुमारा ।
जय जगबन्दन सील अगारा ॥

जय आदित्य अमर अबिकारी ।
अरि मरदन जय-जय गिरधारी ॥

अंजनि उदर जन्म तुम लीन्हा ।
जय-जयकार देवतन कीन्हा ॥

बाजे दुन्दुभि गगन गम्भीरा ।
सुर मन हर्ष असुर मन पीरा ॥

कपि के डर गढ़ लंक सकानी ।
छूटे बंध देवतन जानी ॥

ऋषि समूह निकट चलि आये ।
पवन तनय के पद सिर नाये॥

बार-बार अस्तुति करि नाना ।
निर्मल नाम धरा हनुमाना ॥

सकल ऋषिन मिलि अस मत ठाना ।
दीन्ह बताय लाल फल खाना ॥

सुनत बचन कपि मन हर्षाना ।
रवि रथ उदय लाल फल जाना ॥

रथ समेत कपि कीन्ह अहारा ।
सूर्य बिना भए अति अंधियारा ॥

विनय तुम्हार करै अकुलाना ।
तब कपीस की अस्तुति ठाना ॥

सकल लोक वृतान्त सुनावा ।
चतुरानन तब रवि उगिलावा ॥

कहा बहोरि सुनहु बलसीला ।
रामचन्द्र करिहैं बहु लीला ॥

तब तुम उन्हकर करेहू सहाई ।
अबहिं बसहु कानन में जाई ॥

असकहि विधि निजलोक सिधारा ।
मिले सखा संग पवन कुमारा ॥

खेलैं खेल महा तरु तोरैं ।
ढेर करैं बहु पर्वत फोरैं ॥

जेहि गिरि चरण देहि कपि धाई ।
गिरि समेत पातालहिं जाई ॥

कपि सुग्रीव बालि की त्रासा ।
निरखति रहे राम मगु आसा ॥

मिले राम तहं पवन कुमारा ।
अति आनन्द सप्रेम दुलारा ॥

मनि मुंदरी रघुपति सों पाई ।
सीता खोज चले सिरु नाई ॥

सतयोजन जलनिधि विस्तारा ।
अगम अपार देवतन हारा ॥

जिमि सर गोखुर सरिस कपीसा ।
लांघि गये कपि कहि जगदीशा ॥

सीता चरण सीस तिन्ह नाये ।
अजर अमर के आसिस पाये ॥

रहे दनुज उपवन रखवारी ।
एक से एक महाभट भारी ॥

तिन्हैं मारि पुनि कहेउ कपीसा ।
दहेउ लंक कोप्यो भुज बीसा ॥

सिया बोध दै पुनि फिर आये ।
रामचन्द्र के पद सिर नाये ॥

मेरु उपारि आप छिन माहीं ।
बांधे सेतु निमिष इक मांहीं ॥

लछमन शक्ति लागी उर जबहीं ।
राम बुलाय कहा पुनि तबहीं ॥

भवन समेत सुषेन लै आये ।
तुरत सजीवन को पुनि धाये ॥

मग महं कालनेमि कहं मारा ।
अमित सुभट निसिचर संहारा ॥

आनि संजीवन गिरि समेता ।
धरि दीन्हों जहं कृपा निकेता ॥

फनपति केर सोक हरि लीन्हा ।
वर्षि सुमन सुर जय जय कीन्हा ॥

अहिरावण हरि अनुज समेता ।
लै गयो तहां पाताल निकेता ॥

जहां रहे देवि अस्थाना ।
दीन चहै बलि काढ़ि कृपाना ॥

पवनतनय प्रभु कीन गुहारी ।
कटक समेत निसाचर मारी ॥

रीछ कीसपति सबै बहोरी ।
राम लषन कीने यक ठोरी ॥

सब देवतन की बन्दि छुड़ाये ।
सो कीरति मुनि नारद गाये ॥

अछयकुमार दनुज बलवाना ।
कालकेतु कहं सब जग जाना ॥

कुम्भकरण रावण का भाई ।
ताहि निपात कीन्ह कपिराई ॥

मेघनाद पर शक्ति मारा ।
पवन तनय तब सो बरियारा ॥

रहा तनय नारान्तक जाना ।
पल में हते ताहि हनुमाना ॥

जहं लगि भान दनुज कर पावा ।
पवन तनय सब मारि नसावा ॥

जय मारुत सुत जय अनुकूला ।
नाम कृसानु सोक सम तूला ॥

जहं जीवन के संकट होई ।
रवि तम सम सो संकट खोई ॥

बन्दि परै सुमिरै हनुमाना ।
संकट कटै धरै जो ध्याना ॥

जाको बांध बामपद दीन्हा ।
मारुत सुत व्याकुल बहु कीन्हा ॥

सो भुजबल का कीन कृपाला ।
अच्छत तुम्हें मोर यह हाला ॥

आरत हरन नाम हनुमाना ।
सादर सुरपति कीन बखाना ॥

संकट रहै न एक रती को ।
ध्यान धरै हनुमान जती को ॥

धावहु देखि दीनता मोरी ।
कहौं पवनसुत जुगकर जोरी ॥

कपिपति बेगि अनुग्रह करहु ।
आतुर आइ दुसइ दुख हरहु ॥

राम सपथ मैं तुमहिं सुनाया ।
जवन गुहार लाग सिय जाया ॥

यश तुम्हार सकल जग जाना ।
भव बन्धन भंजन हनुमाना ॥

यह बन्धन कर केतिक बाता ।
नाम तुम्हार जगत सुखदाता ॥

करौ कृपा जय जय जग स्वामी ।
बार अनेक नमामि नमामी ॥

भौमवार कर होम विधाना ।
धूप दीप नैवेद्य सुजाना ॥

मंगल दायक को लौ लावे ।
सुन नर मुनि वांछित फल पावे ॥

जयति जयति जय जय जग स्वामी ।
समरथ पुरुष सुअन्तरजामी ॥

अंजनि तनय नाम हनुमाना ।
सो तुलसी के प्राण समाना ॥

॥ दोहा ॥

जय कपीस सुग्रीव तुम, जय अंगद हनुमान॥
राम लषन सीता सहित, सदा करो कल्याण॥
बन्दौं हनुमत नाम यह, भौमवार परमान॥
ध्यान धरै नर निश्चय, पावै पद कल्याण॥
जो नित पढ़ै यह साठिका, तुलसी कहैं बिचारि।
रहै न संकट ताहि को, साक्षी हैं त्रिपुरारि॥

॥ सवैया ॥

आरत बन पुकारत हौं कपिनाथ सुनो विनती मम भारी ।
अंगद औ नल-नील महाबलि देव सदा बल की बलिहारी ॥

जाम्बवन्त् सुग्रीव पवन-सुत दिबिद मयंद महा भटभारी ।
दुःख दोष हरो तुलसी जन-को श्री द्वादश बीरन की बलिहारी ॥

यदि आप श्री हनुमान जी के बारे में और उनकी महिमा के बारे में अधिक जानना चाहते हैं, तो यह वीडियो आपके लिए एक आध्यात्मिक यात्रा का एक माध्यम हो सकता है।
यह वीडियो आपको श्री हनुमान के जीवन, उनकी महत्त्वपूर्ण कथाएं और उनके अद्भुत गुणों के बारे में जानकारी प्रदान करेगा। इस वीडियो के माध्यम से, आप हनुमान जी के भक्ति और सेवा में अधिक समर्पित हो सकते हैं और उनकी कृपा और आशीर्वाद को अनुभव कर सकते हैं।

Hanuman Sathika MP3 प्राप्त करें

आप इसे सुनकर श्री हनुमान जी की महिमा, गुण और शक्ति को व्यक्त करता है। इस सांग में भक्ति और श्रद्धा की ऊर्जा भरी होती है, जो श्री हनुमान जी के आदर्शों और महत्वपूर्ण कार्यों को बताती है।

यह गीत श्री हनुमान जी की आराधना के समय आत्मा को पवित्र और संतुष्ट महसूस कराता है और भक्तों को उनके जीवन में सुख, समृद्धि और सुरक्षा की प्राप्ति के लिए प्रेरित करता है। इस ऑडियो सांग को सुनकर भक्त श्री हनुमान जी की कृपा और आशीर्वाद को आसानी से प्राप्त कर सकते हैं।

Hanuman Sathika PDF प्राप्त करें

Hanuman Sathika PDF प्राप्त कर सकते है और यह एक ग्रंथ है जो हिन्दू धर्म में प्रसिद्ध देवता श्री हनुमान के बारे में ज्ञान और भक्ति को पीडीऍफ़ के रूप में आपको मुहैया कराया गया है।

यह पीडीएफ आपको हनुमान जी के पूजन, व्रत, मंत्र, आरती, चालीसा और उनके चरित्र गुणों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करता है। इस ग्रंथ को पढ़कर आप हनुमान जी की कृपा को प्राप्त करने, उनकी कृपालु शरणागति करने और अपने जीवन में सुख और समृद्धि को प्राप्त करने के उपायों का ज्ञान प्राप्त करेंगे।

श्री हनुमान साठिका | Hanuman Sathika: भक्ति, शक्ति, और सुख का स्रोत 
key: Hanuman Sathika, Hanuman Sathika pdf, Hanuman Sathika book, Hanuman Sathika in hindi

Hanuman Sathika Benefits निम्नलिखित है

पाठ करने से हमारे जीवन में बहुत से लाभ होते है और सभी प्रकार के सुख  होती है।  ऐसे ही बहुत से लाभ मिलत है जो की निम्नलिखित है – 

  • साठिका की पाठ और अध्ययन से हमें मानसिक और शारीरिक मजबूती प्राप्त होती है।
  • यह साठिका हनुमान जी की कृपा को प्राप्त करने में सहायता करती है और भक्तों को सुरक्षा और सुख देती है।
  • पाठ से भक्तों को भय और दुःख से मुक्ति मिलती है और उनके जीवन में समृद्धि आती है।
  • यह साठिका श्रद्धा और निष्ठा को बढ़ाती है और व्यक्ति को धार्मिकता के मार्ग पर स्थिर रखती है।
  • पाठ से शत्रुओं और बुरी नजर रखने वालो से बचाव करता है और भक्त को रक्षा की शक्ति मिलती है।
  • यह साठिका भक्तों को सभी प्रकार की मनोकामनाओं की प्राप्ति करने में सहायता करती है।
  • पाठ करने से शांति, सुख, और समृद्धि की प्राप्त होती है और जीवन में बहुत प्रगति होती है।
  • यह साठिका श्री हनुमान के प्रेम और आदर्शों का अनुसरण करने में सहायता करती है और भक्त को सच्चे धर्मिक जीवन का मार्ग दिखाती है।
  • पाठ करने से हमारे जीवन में संतुलन और समता आती है और सभी कार्यों में सफलता प्राप्त करते हैं।
  • इस साठिका को पढ़ने से हमारे स्वास्थ्य में सुधार, बुद्धि की वृद्धि, और मनोवैज्ञानिक शक्ति प्रदान करती है।
sri hanuman saathika paath karne ki vidhi 1

पाठ करने की विधि

जो लोग हनुमान जी का पाठ करते है अक्सर उनके मन में सवाल होता है की इसका पाठ कैसे किया जाता है या फिर बहुत से ऐसे लोग है जो  की सही तरीके से इसका पाठ नहीं कर पाते है। तो आज हम इसके पथ करने की विधि को बताने जा रहे है जो की निम्नलिखित है : 

  • पाठ प्रारंभ करने से पहले , एक  शुद्ध और सुथरे जगह में बैठकर स्थिर हो जाएं।
  • अब उसकेव बाद अपने मन को श्री हनुमान जी के मूर्ति की ओर ध्यान केंद्रित करें।
  • श्री हनुमान जी की पूजा करे और उनसे आशीर्वाद लें।
  • मंत्र की शुरुआत “जय जय जय हनुमान अडंगी ” से करें।
  • अब पाठ करें और सभी पंक्ति को ध्यानपूर्वक पढ़ें और समझें।
  • साठिका का पाठ समाप्त हो जाने के बाद, हनुमान चालीसा का पाठ अवश्य करें।
  • अंत में, श्री हनुमान जी की आरती करें और उन्हें वंदन करें।
  • साठिका पाठ समाप्त होने के बाद, आप हनुमान जी के प्रति अपनी विशेष इच्छाओं और मनोकामनाओं को प्रगट कर सकते हैं।
  • पाठ की समाप्ति के बाद, धन्यवाद का भाव देकर और आशीर्वाद लेकर पूजा को समाप्त करें।
  • साठिका का प्रतिदिन नियमित रूप से पाठ करें और हनुमान जी की कृपा को प्राप्त करें।

FAQ

श्री हनुमान को किस वानर सेना के सेनानी के रूप में जाना जाता है?
श्री हनुमान की पूजा का सबसे शुभ समय क्या है?
श्री हनुमान के कितने रूप हैं?

श्री हनुमान के चार प्रमुख रूप हैं: बलि हनुमान, मंकार हनुमान, वीर हनुमान, और संकटमोचन हनुमान।

क्या श्री हनुमान की आराधना से स्वास्थ्य में सुधार होता है?
श्री हनुमान को क्यों “ब्रह्मचारी” कहा जाता है?

Leave a comment