भक्ति और विश्वास का सबसे सुंदर रूप तब दिखाई देता है जब हम हनुमान साठिका का पाठ करते हैं। यह एक दिव्य स्तोत्र है जो हनुमान जी की असीम शक्ति, साहस और भक्ति का वर्णन करता है। कहा जाता है कि जो व्यक्ति सच्चे मन से इसका पाठ करता है, उसके जीवन से भय, बाधाएँ और दुःख स्वतः ही दूर हो जाते हैं। इसलिए हमने यहां Hanuman Sathika को उपलब्ध कराया है-
हनुमान साठिका
दोहा
बीर बखानौं पवनसुत,जनत सकल जहान,
धन्य-धन्य अंजनि-तनय , संकर, हर, हनुमान्॥
चौपाइयां
जय-जय-जय हनुमान अडंगी,
महावीर विक्रम बजरंगी ।
जय कपिश जय पवन कुमारा,
जय जग बंदन सील अगारा ।
जय आदित्य अमर अबिकारी,
अरि मरदन जय-जय गिरिधारी।
अंजनी उदर जन्म तुम लीन्हा,
जय जयकार देवतन कीन्हा।
बाजे दुन्दुभि गगन गंभीरा ,
सुर मन हर्ष असुर मं पीरा।
कपि के डर गढ़ लंक सकानी,
छूटे बंध देवतन जानी।
ऋषि समूह निकट चलि आये,
पवन-तनय के पद सिर नाये ।
बार-बार स्तुति करी नाना,
निर्मल नाम धरा हनुमाना।
सकल ऋषिन मिली अस मत ठाना,
दीन्ह बताय लाल फल खाना ।
सुनत वचन कपि मन हर्षाना,
रवि रथ उदय लाल फल जाना।
रथ समेत कपि कीन्ह आहारा,
सूर्य बिना भये अति अंधियारा ।
विनय तुम्हार करै अकुलाना,
तब कपिस की अस्तुति ठाना।
सकल लोक वृतांत सुनावा,
चतुरानन तब रवि उगिलावा।
कहा बहोरी सुनहु बलसीला,
रामचंद्र करिहैं बहु लीला।
तब तुम उनकर करेहू सहाई,
अबहीं बसहु कानन में जाई।
अस कही विधि निज लोक सिधारा,
मिले सखा संग पवन कुमारा ।
खेलै खेल महा तरु तोरें,
ढेर करें बहु पर्वत फोरें।
जेहि गिरि चरण देहि कपि धाई ,
गिरि समेत पातालहि जाई ।
कपि सुग्रीव बालि की त्रासा |
निरखति रहे राम मागु आसा।
मिले राम तहं पवन कुमारा,
अति आनंद सप्रेम दुलारा।
मनि मुंदरी रघुपति सों पाई,
सीता खोज चले सिरु नाई ।
सतयोजन जलनिधि विस्तारा,
अगम-अपार देवतन हारा।
जिमि सर गोखुर सरिस कपीसा,
लांघि गये कपि कही जगदीशा।
सीता-चरण सीस तिन्ह नाये,
अजर-अमर के आसिस पाये।
रहे दनुज उपवन रखवारी,
एक से एक महाभट भारी।
तिन्हैं मारि पुनि कहेउ कपीसा,
दहेउ लंक कोप्यो भुज बीसा।
सिया बोध दै पुनि फिर आये,
रामचंद्र के पद सिर नाये ।
मेरु उपारि आप छीन माहीं,
बाँधे सेतु निमिष इक मांहीं।
लक्ष्मण-शक्ति लागी उर जबहीं,
राम बुलाय कहा पुनि तबहीं।
भवन समेत सुषेन लै आये,
तुरत सजीवन को पुनि धाय।
मग महं कालनेमि कहं मारा,
अमित सुभट निसि-चर संहारा ।
आनि संजीवन गिरि समेता,
धरि दिन्हौ जहं कृपा निकेता ।
फन पति केर सोक हरि लीन्हा,
वर्षि सुमन सुर जय जय कीन्हा।
अहिरावन हरि अनुज समेता,
लै गयो तहां पाताल निकेता।
जहाँ रहे देवि अस्थाना,
दीन चहै बलि कढी कृपाना।
पवन तनय प्रभु किन गुहारी,
कटक समेत निसाचर मारी।
रीछ किसपति सबै बहोरी,
राम-लखन किने यक ठोरी।
सब देवतन की बन्दी छुडाये,
सो किरति मुनि नारद गाये।
अछय कुमार दनुज बलवाना,
काल केतु कहं सब जग जाना।
कुम्भकरण रावण का भाई,
ताहि निपात कीन्ह कपिराई।
मेघनाद पर शक्ति मारा,
पवन तनय तब सो बरियारा।
रहा तनय नारान्तक जाना,
पल में हते ताहि हनुमाना।
जहं लगि भान दनुज कर पावा,
पवन-तनय सब मारि नसावा ।
जय मारुतसुत जय अनुकूला,
नाम कृसानु सोक तुला।
जहं जीवन के संकट होई,
रवि तम सम सो संकट खोई ।
बंदी परै सुमिरै हनुमाना,
संकट कटे घरै जो ध्याना।
जाको बंध बामपद दीन्हा,
मारुतसुत व्याकुल बहु कीन्हा।
सो भुजबल का कीन कृपाला,
अच्छत तुम्हे मोर यह हाला।
आरत हरन नाम हनुमाना,
सादर सुरपति कीन बखाना।
संकट रहै न एक रति को,
ध्यान धरै हनुमान जती को।
धावहु देखि दीनता मोरी,
कहौं पवनसुत जगकर जोरी।
कपिपति बेगि अनुग्रह करहु,
आतुर आई दुसै दुःख हरहु।
राम सपथ मै तुमहि सुनाया,
जवन गुहार लाग सिय जाया।
यश तुम्हार सकल जग जाना,
भव बंधन भंजन हनुमाना।
यह बंधन कर केतिक वाता,
नाम तुम्हार जगत सुखदाता।
करौ कृपा जय-जय जग स्वामी,
बार अनेक नमामि-नमामी।
भौमवार कर होम विधना,
धुप दीप नैवेद्द सूजाना।
मंगल दायक को लौ लावे,
सुन नर मुनि वांछित फल पावें।
जयति-जयति जय-जय जग स्वामी,
समरथ पुरुष सुअंतरआमी ।
अंजनि तनय नाम हनुमाना,
सो तुलसी के प्राण समाना।
दोहा
जय कपीस सुग्रीव तुम, जय अंगद हनुमान,
राम लषन सीता सहित, सदा करो कल्याण॥
बन्दौं हनुमत नाम यह, भौमवार परमान,
ध्यान धरै नर निश्चय, पावै पद कल्याण॥
जो नित पढ़ै यह साठिका, तुलसी कहैं बिचारि,
रहै न संकट ताहि को, साक्षी हैं त्रिपुरारि॥
सवैया
आरत बन पुकारत हौं कपिनाथ सुनो विनती मम भारी,
अंगद औ नल-नील महाबलि देव सदा बल की बलिहारी॥
जाम्बवन्त् सुग्रीव पवन-सुत दिबिद मयंद महा भटभारी,
दुःख दोष हरो तुलसी जन-को श्री द्वादश बीरन की बलिहारी॥

इसका पाठ व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता, आत्मबल और भक्ति का संचार करता है। यह एक ऐसा स्तोत्र है जो भय और संकट के समय व्यक्ति को मानसिक शक्ति प्रदान करता है। प्राचीन मान्यता के अनुसार, इस पाठ के नियमित उच्चारण से हनुमान जी अपने भक्तों पर विशेष कृपा करते हैं और जीवन के हर संकट से रक्षा करते हैं।
हनुमान सातिका इमेज डाउनलोड
श्रद्धालु लोग हनुमान सातिका इमेज को अपने घर या पूजा स्थल पर लगाते हैं। यह उन्हें हनुमान जी की उपस्थिति का अनुभव कराता है और हर पल भक्ति की भावना को जागृत रखता है। इस तरह यह सिर्फ एक चित्र नहीं, बल्कि श्रद्धा और ऊर्जा का प्रतीक बन जाता है। इसे आप Hanuman Wallpaper के तरह भी उपयोग के सकते है।
हनुमान सातिका पीडीएफ
भक्तों की सुविधा के लिए Hanuman Sathika PDF उपलब्ध है, जिसमें पूरा पाठ साफ अक्षरों में लिखा गया है। इस PDF को आप अपने मोबाइल या लैपटॉप में डाउनलोड कर सकते हैं ताकि आप रोज़ाना इसका पाठ कर सकें। इससे न केवल आपकी साधना नियमित रहेगी बल्कि मन में भी शांति और एकाग्रता बनी रहेगी।
Hanuman Sathika Audio / Video
जो भक्त इसे सुनकर अनुभव करना चाहते हैं, उनके लिए इसका Audio और Video एक उत्कृष्ट साधन हैं। जब इसका पाठ मधुर संगीत के साथ गूंजता है, तो वातावरण भक्ति और सकारात्मकता से भर जाता है। इसे सुनते हुए ध्यान करने से मन में शक्ति और स्थिरता दोनों आती हैं।
हनुमान साठिका न केवल एक पाठ है, बल्कि यह विश्वास और आस्था की डोर है जो भक्त को प्रभु से जोड़ती है। जब कोई साधक इसे श्रद्धा से पढ़ता है, तो उसके भीतर वही ऊर्जा जागृत होती है जो Hanuman Chalisa Lyrics in Hindi, Bajrang Baan, और Hanuman Ji Ki Aarti जैसे स्तोत्रों से मिलती है। भक्ति का यह मार्ग सिखाता है कि अगर मन में विश्वास और समर्पण हो, तो कोई भी बाधा बड़ी नहीं होती।
FAQ
इसका पाठ कब करना सबसे अच्छा माना जाता है?
मंगलवार और शनिवार को सूर्योदय के बाद इसका पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
इसमें और Hanuman Chalisa में क्या अंतर है?
दोनों भक्ति स्तोत्र हैं, लेकिन हनुमान सातिका को हनुमान जी की विशेष शक्ति और कृपा प्राप्ति के लिए किया जाता है, जबकि हनुमान चालीसा उनके गुणों और लीला का वर्णन करती है।
क्या इसे पढ़ने के लिए कोई विशेष नियम हैं?
बस मन को शांत रखें, प्रभु का ध्यान करें और श्रद्धा से पाठ करें। यही सबसे बड़ा नियम है।